SBI ने बढ़ाई MCLR: Home Loan और Personal Loan लेने वालों पर क्या होगा असर?

SBI MCLR Rate: देश के सबसे बड़े बैंक, SBI (State Bank of India), ने अपनी ब्याज दरों में वृद्धि की है। बैंक ने MCLR (Marginal Cost of Fund Based Lending Rate) में 0.05% तक बढ़ोतरी की है। बैंक की वेबसाइट के अनुसार, एक साल का MCLR अब 9% हो गया है। यह दर शुक्रवार से लागू हो चुकी है।

MCLR बढ़ने से क्या होगा असर?

MCLR किसी बैंक द्वारा लोन देने की न्यूनतम ब्याज दर होती है। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ता है, जो Home Loan, Personal Loan, या अन्य प्रकार के लोन लेना चाहते हैं। SBI का कहना है कि बैंक के 42% लोन MCLR पर आधारित हैं। बढ़ी हुई ब्याज दरें ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर सकती हैं।

कौन-कौन सी दरों में बदलाव हुआ है?

  • 1 साल का MCLR: 9% (0.05% की वृद्धि)
  • 3 महीने और 6 महीने का MCLR: मामूली बढ़ोतरी
  • ओवरनाइट, 1 महीने, 2 साल और 3 साल के MCLR में कोई बदलाव नहीं।

MCLR क्या है और क्यों जरूरी है?

MCLR वह न्यूनतम ब्याज दर है जिस पर बैंक किसी ग्राहक को लोन दे सकता है। यह प्रणाली अप्रैल 2016 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य था:

  • बेस रेट सिस्टम की कमियों को दूर करना।
  • ब्याज दरों को पारदर्शी बनाना।
  • आरबीआई द्वारा तय की गई रेपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाना।

RBI के Repo Rate का MCLR से सीधा संबंध है। जब रेपो रेट घटता है, तो Home Loan और Personal Loan की ब्याज दरें भी कम हो सकती हैं।

लोन लेने वालों पर असर

  • अगर MCLR बढ़ती है, तो लोन की ईएमआई महंगी हो सकती है।
  • यदि MCLR घटती है, तो ब्याज दरें कम हो सकती हैं, लेकिन लोन की अवधि पर असर पड़ सकता है।

SBI के चेयरमैन का बयान

SBI के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने कहा है कि बैंक ग्राहकों को डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज देकर आकर्षित नहीं करेगा, क्योंकि ब्याज दरें पहले ही अपने चरम पर हैं।

MCLR कैसे तय होता है?

MCLR बैंकों की फंडिंग लागत, ऑपरेशनल खर्च, और रेपो रेट पर आधारित होता है। यह प्रणाली लोन लेने वालों को आरबीआई द्वारा तय किए गए नीतिगत दरों के बदलाव का लाभ देती है। शॉर्ट मे समजे तो बैंक को लोन देने मे आनेवाले सारे खर्चे मिलाके यह रेट तय होता है। इससे कम रेट पर कोई भी लोन दे नहीं सकती।

निष्कर्ष

यदि आप Home Loan या Personal Loan लेने की योजना बना रहे हैं, तो बढ़ा हुआ MCLR आपके बजट पर असर डाल सकता है। लोन लेने से पहले ब्याज दरों की तुलना जरूर करें और अपनी ईएमआई की गणना करके ही फैसला लें।

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