Digital Arrest Scam: नोएडा में महिला से 11.5 लाख की ठगी, लेना पड़ा ठगों को पैसे देने के लिए पर्सनल लोन

नोएडा में एक 25 वर्षीय महिला को एक दिन के लिए “Digital Arrest” में रखा गया, जिससे उसे ₹11.5 लाख की ठगी का सामना करना पड़ा। यह घटना 26 सितंबर की है, जिसकी जानकारी बुधवार को अधिकारियों द्वारा दी गई। पुलिस के अनुसार, महिला ने पहले ठगों को ₹6.5 लाख का भुगतान किया और फिर ₹5 लाख का प्री-अप्रूव्ड पर्सनल लोन लिया ताकि उन्हें और पैसा भेज सके।

कैसे हुई ठगी?

पीड़िता, Ridhima Goyal, जो हरियाणा के पंचकुला की रहने वाली हैं, नोएडा के सेक्टर 46 में एक किराये के मकान में रहती हैं। वह एक निजी कंपनी में काम करती हैं। पुलिस को दी गई शिकायत में, Ridhima ने बताया कि 26 सितंबर को सुबह 11:43 बजे उन्हें एक अनजान नंबर से फोन आया। कॉल एक ऑटोमेटेड मैसेज (IVR कॉल) था, जिसमें कहा गया कि उनका अंतरराष्ट्रीय कूरियर पैकेज रिजेक्ट हो गया है।

जब उन्होंने कॉल उठाई, तो उन्हें एक कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव से जोड़ा गया, जिसने बताया कि उनके पैकेज में MDMA नामक नशीला पदार्थ पाया गया है, जिसे पोर्ट पर जब्त कर लिया गया है। जब Ridhima ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने कोई ऐसा पैकेज भेजा है, तो कॉल को एक साइबर क्राइम अधिकारी के पास ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद उन्हें मुंबई पुलिस के नारकोटिक्स विभाग के एक अधिकारी से जोड़ा गया, जो असल में ठग थे।

धमकी और दबाव में हुआ ठगी का शिकार

पुलिस के अनुसार, Ridhima को एक स्काइप वीडियो कॉल के जरिए आरोपी से बात कराई गई। उस व्यक्ति ने खुद को एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हुए कहा कि Ridhima का आधार कार्ड ₹8 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है। इसके बाद, एक व्यक्ति ने खुद को पुलिस के “डायरेक्टर जनरल” बताकर Ridhima को धमकी दी और उनसे कहा कि अगर वह सहयोग नहीं करतीं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

डर के मारे, Ridhima ने ठगों को ₹6.5 लाख ट्रांसफर कर दिए और फिर दबाव में आकर ₹5 लाख का पर्सनल लोन भी लिया। बाद में, जब उन्होंने अपने परिचितों से संपर्क किया, तो उन्हें एहसास हुआ कि वह साइबर ठगी का शिकार हो चुकी हैं।

पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

इसके बाद, Ridhima ने साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने बताया कि उनकी शिकायत के आधार पर 14 अगस्त को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता की धारा 308(2) (वसूली), 319(2) (छल), और 318(4) (प्रत्यायन द्वारा धोखाधड़ी) और आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच जारी है।

साइबर अपराध से बचने के उपाय

ऐसी घटनाओं से बचने के लिए यह ज़रूरी है कि आप कभी भी अज्ञात कॉल्स पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। साथ ही, कोई भी धमकी भरे कॉल्स या संदेश आने पर तुरंत साइबर पुलिस से संपर्क करें।

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FAQs

इस ठगी में महिला से कितनी रकम की ठगी हुई?

महिला से कुल ₹11.5 लाख की ठगी की गई, जिसमें से ₹6.5 लाख उन्होंने ठगों को ट्रांसफर किए और ₹5 लाख का पर्सनल लोन भी लिया।

ठगों ने महिला को कैसे फंसाया?

ठगों ने महिला को अंतरराष्ट्रीय कूरियर पैकेज रिजेक्ट होने की झूठी सूचना दी और फिर उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स से जुड़े झूठे आरोपों से डराकर पैसे ट्रांसफर करवाए।

क्या इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है?

हां, महिला की शिकायत पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है और मामले की जांच चल रही है।

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