NSE IPO होगा भारत का सबसे बड़ा IPO? ₹47,500 करोड़?

NSE IPO: भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने लंबे समय से प्रतीक्षित Initial Public Offering (IPO) लाने की योजना बनाई है। इस कदम का उद्देश्य केवल शेयर मूल्य की खोज नहीं है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना है। NSE के चीफ बिजनेस डेवलपमेंट ऑफिसर श्रीराम कृष्णन ने हाल ही में बताया कि बिना प्रमोटर वाली एक “क्वासी-कमर्शियल ऑर्गनाइजेशन” के रूप में NSE इस IPO को एक महत्वपूर्ण कदम मानता है। लगभग ₹4.75 लाख करोड़ की मूल्यांकन के साथ NSE, 20,000 से अधिक शेयरधारकों के साथ भारत के सबसे वांछित अनलिस्टेड शेयरों में से एक है।

NSE IPO के विवरण का अनावरण

अगर NSE अपने IPO के माध्यम से 10% इक्विटी हिस्सेदारी बेचने का निर्णय करता है, तो यह लगभग ₹47,500 करोड़ का हो सकता है, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक इश्यू बन जाएगा, जो Hyundai के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देगा। वर्तमान में यह निर्णय भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की मंजूरी का इंतजार कर रहा है, लेकिन कृष्णन के अनुसार NSE SEBI की मंजूरी मिलते ही IPO के लिए तैयार है।

NSE IPO के रास्ते में आने वाली चुनौतियाँ और उनका समाधान

NSE IPO की यात्रा आसान नहीं रही है। एक्सचेंज ने पहली बार 2016 में अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया था, लेकिन प्रसिद्ध “को-लोकेशन स्कैम” के कारण इस प्रक्रिया में रुकावट आ गई। इस मामले में, कुछ ब्रोकरों को NSE के ट्रेडिंग सिस्टम तक प्राथमिकता वाली पहुँच प्राप्त थी, जिससे उन्हें अनुचित लाभ मिला। हालांकि, हाल ही में SEBI ने NSE और उसके अधिकारियों के खिलाफ मामले को पर्याप्त सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया, जिससे IPO का मार्ग प्रशस्त हो गया।

NSE का वित्तीय प्रदर्शन और भविष्य की योजनाएँ

NSE ने अपने वित्तीय प्रदर्शन में अच्छी वृद्धि दिखाई है। वित्तीय वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में इसका टैक्स के बाद समेकित मुनाफा साल दर साल 57% बढ़कर ₹3,137 करोड़ हो गया। इसी प्रकार इसका ऑपरेटिंग रेवेन्यू भी 24% सालाना वृद्धि के साथ ₹4,510 करोड़ तक पहुँच गया। NSE के प्रमुख शेयरधारकों में जीवन बीमा निगम (LIC) 7.2% हिस्सेदारी के साथ, स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन 4.44%, एसबीआई कैपिटल मार्केट्स 4.33%, भारतीय स्टेट बैंक 3.23% और टेमासेक होल्डिंग्स 5% के साथ शामिल हैं।

इक्विटी से परे, NSE ने कमोडिटी मार्केट में भी अपनी स्थिति को मजबूत किया है और जल्द ही नई नॉन-एग्रीकल्चरल कमोडिटी कॉन्ट्रैक्ट्स लॉन्च करने की योजना बना रहा है। ये पहलें दर्शाती हैं कि NSE अपने ऑफरिंग्स में विविधता लाने और अधिक समावेशी बाजार में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।

NSE के लिए एक नया युग

आने वाला NSE IPO केवल एक वित्तीय मील का पत्थर नहीं है; यह पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है जो प्रमुख वैश्विक एक्सचेंजों के मानकों के अनुरूप है। SEBI की मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहे बाजार के साथ, NSE का IPO जल्द ही भारत के वित्तीय परिदृश्य को पुनः परिभाषित कर सकता है, जिससे देश के पूंजी बाजार में नई ऊंचाइयों पर पारदर्शिता और जवाबदेही की स्थापना हो सकेगी।

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FAQs

NSE IPO का मुख्य उद्देश्य क्या है?

NSE का IPO लॉन्च करने का उद्देश्य सिर्फ शेयर मूल्य की खोज करना नहीं है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना है। NSE खुद को एक “क्वासी-कमर्शियल ऑर्गनाइजेशन” मानता है और इसे बाजार के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए IPO एक महत्वपूर्ण कदम है।

NSE IPO के आकार का अनुमान क्या है?

अगर NSE अपनी 10% इक्विटी हिस्सेदारी IPO में जारी करता है, तो यह लगभग ₹47,500 करोड़ का हो सकता है, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक इश्यू बन सकता है।

NSE IPO में देरी का कारण क्या था?

NSE ने 2016 में पहली बार IPO के लिए DRHP दाखिल किया था, लेकिन “को-लोकेशन स्कैम” के कारण प्रक्रिया रुक गई थी। हाल ही में SEBI ने इस मामले में NSE और इसके अधिकारियों को सबूतों की कमी के कारण निर्दोष पाया, जिससे IPO का मार्ग साफ हो गया।

NSE के प्रमुख शेयरधारक कौन हैं?

NSE के प्रमुख शेयरधारकों में LIC (7.2%), स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन (4.44%), एसबीआई कैपिटल मार्केट्स (4.33%), भारतीय स्टेट बैंक (3.23%), और टेमासेक होल्डिंग्स (5%) शामिल हैं।

NSE IPO कब लॉन्च होने की संभावना है?

NSE IPO के लिए SEBI की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। जैसे ही SEBI से मंजूरी मिलेगी, NSE IPO लॉन्च करने के लिए तैयार है।

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